Shayri | Shayri of The Day - 4 April 2020

Anurag Sharma
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पूनम की यह रात भी आ गई,
रात के माथे पर
चाँद बिंदी-सा टंग गया,
वादे के मुताबिक आज मिलना था हमें

मगर, तुम नहीं आई… 

रात ने आसमान पर झूमर सजा दिए,
चाँद के आदेश पर
सितारों ने टिमटिमाहट बढ़ा दी,
एक तारा मेरे खातिर टूट पड़ा,
मैंने तुम्हारा आना माँगा

मगर, तुम नहीं आई… 

संसार में बिखरे तमाम शब्दों में से
मैंने एक शब्द ‘प्रेम’ चुना था,
जीवन जीने के ख्याल के लिए निहायत जरूरी शब्द।
जबभी ‘प्रेम’ लिखना होता है मुझे
मेरी वर्णमालाओं की अज्ञानता जाहिर हो जाती है,
मैं तुम्हारा नाम लिख देता हूँ, यह बताना था तुम्हें

मगर, तुम नहीं आई…
❤️

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